२ मई २०१४, सरकारी प्राइमरी स्कूल, जालंधर

एक नन्हा प्रयास
एक बार एक बालक समुंद्र के किनारे चहल कदमी कर रहा था. अचानक समुंद्र में सुनामी  लहर गई और एक एक लहर के साथ हज़ारों मच्छलियान समुंद्र के किनारे पड़ी रेत पर कर तड़पने लगी. सभी घूमने आए पर्यटक समुंद्र की लहरों का आनंद ले रहे थे. वह बालक इन सबसे बेख़बर एक एक मच्छली को उठा कर दोबारा समुंद्र में फेंक रहा था जिसे देखकर पर्यटक उसकी हँसी उड़ाने लगे तथा एक ने तो पूछ ही लिया- हज़ारों मच्छलिया तड़फ़ रही हें आप अगर एक मच्छली समुंद्र में दोबारा फेंक भी दोगे तो क्या फ़र्क पड़ने वाला हे.वह बालक हतोत्साहित नहीं हुआ .उसका उत्तर बहुत प्रेरणादायक एवम् यथशक्ति कर्यवनित था –“ किसी को फ़र्क पड़ने वाला नहीं लेकिन जिस मच्छली को दोबारा नया जीवन मिला उसको ज़रूर फ़र्क पड़ा और मेने यथा शक्ति एक एक  जान बचाई- मुझे आत्मबल आत्मसंतुष्टि मिल रही हेयह कहकर बालक अपने काम में फिर से लग गया.
                   कुछ इस प्रकार की भावना लेकर विश्व जागृति मिशन जालंधर सत्संग समिति के सभी सदस्यों ने परम पूज्य गुरुवर श्री सुधांशु जी महाराज के जन्म दिवस "उल्लास पर्व"को मनाते हुए गुरुवर की प्रेरणा से अपने नेत्र दान करने का संकल्प लिया एवम् गुरु नानक मिशन हॉस्पिटल के नेत्र बेंक से संपर्क करके एक प्राथमिक स्कूल में एक नेत्र दान केम्प का आयोजन किया इसमें जालंधर सत्संग समिति के सभी कार्याधिकारी एवम् उपस्थित सदस्यों ने  नेत्रदान के संकल्प  फार्म भरे तथा स्कूल के अध्यापक वर्ग ने भी उत्साहपूर्वक फार्म भर कर नेत्रदान का संकल्प लिया. इसके अतिरिक्त सत्संग समिति द्वारा निर्धन विद्यार्थियों को स्कूल बेग बाँटें तथा सबको जलपान करवाया गयासमिति ने स्कूल को कक्षाओं  के लिए तीन सीलिंग फेन भी भेंट किए , इस अवसर पर श्री एस के चावला अध्यक्ष  विश्व जागृति मिशन सत्संग समिति जालंधर ने गुरुवेर द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न सेवा कार्यों पर प्रकाश भी डाला जिसकी सबने सराहना की. अंत में स्कूल के मुख्य अध्यापक ने समिति का बहुत धन्यवाद किया.और सभी सदस्य एक अनोखे प्रेरणादायक , आत्मसंतुष्टि के भाव को लेकर खुश थे .
                           इस से पहले सुबह आठ बजे गुरुवर के जन्म दिवस पर हवन किया गया तथा ईश्वर से उनकी दीर्घायु तथा अच्छे स्वस्थ्य के लिए प्रार्थना की गयी भजञो का आनंद लेते हुए सभी  सदस्यों ने श्री सुभाष जी द्वारा आयोजित भंडारे को भी प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया 













 

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